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Tuesday, June 20, 2017

॥ दशमहाविद्यास्तोत्रम् ॥

॥ दशमहाविद्यास्तोत्रम् ॥


ॐ नमस्ते चण्डिके चण्डि चण्डमुण्डविनाशिनि
नमस्ते कालिके कालमहाभयविनाशिनि ॥ 1 ॥
शिवे रक्ष जगद्धात्रि प्रसीद हरवल्लभे
प्रणमामि जगद्धात्रीं जगत्पालनकारिणीम् ॥ 2 ॥
जगत् क्षोभकरीं विद्यां जगत्सृष्टिविधायिनीम्।
करालां विकटां घोरां मुण्डमालाविभूषिताम् ॥ 3 ॥
हरार्चितां हराराध्यां नमामि हरवल्लभाम्
गौरीं गुरुप्रियां गौरवर्णालङ्कारभूषिताम् ॥ 4 ॥
हरिप्रियां महामायां नमामि ब्रह्मपूजिताम् 
सिद्धां सिद्धेश्वरीं सिद्धविद्याधरङ्गणैर्युताम् ॥ 5 ॥
मन्त्रसिद्धिप्रदां योनिसिद्धिदां लिङ्गशोभिताम्
प्रणमामि महामायां दुर्गां दुर्गतिनाशिनीम् ॥ 6 ॥
उग्रामु ग्रमयी मुग्रतारामुग्र गणैर्युताम् ।
नीलां नीलघनश्यामां नमामि नीलसुन्दरीम् ॥ 7 ॥
श्यामाङ्गीं श्यामघटितां श्यामवर्णविभूषिताम्
प्रणमामि जगद्धात्रीं गौरीं सर्वार्थसाधिनीम् ॥ 8 ॥
विश्वेश्वरीं महाघोरां विकटां घोरनादिनीम्
आद्यामाद्यगुरोराद्यामाद्यनाथप्रपूजिताम्॥ 9 ॥
श्रीं दुर्गां धनदामन्नपूर्णां पद्मां सुरेश्वरीम्
प्रणमामि जगद्धात्रीं चन्द्रशेखरवल्लभाम् ॥ 10 ॥
त्रिपुरां सुन्दरीं बालामबलागणभूषिताम्
शिवदूतीं शिवाराध्यां शिवध्येयां सनातनीम् ॥ 11॥
सुन्दरीं तारिणीं सर्वशिवागणविभूषिताम्
नारायणीं विष्णुपूज्यां ब्रह्मविष्णुहरप्रियाम् ॥ 12 ॥
सर्वसिद्धिप्रदां नित्यामनित्यां गुणवर्जिताम्
सगुणां निर्गुणां ध्येयामर्चितां सर्वसिद्धिदाम्॥ 13 ॥
विद्यां सिद्धिप्रदां विद्यां महाविद्यां महेश्वरीम्
महेशभक्तां माहेशीं महाकालप्रपूजिताम् ॥ 14 ॥
प्रणमामि जगद्धात्रीं शुम्भासुरविमर्दिनीम्
रक्तप्रियां रक्तवर्णां रक्तबीजविमर्दिनीम् ॥ 15 ॥
भैरवीं भुवनां देवीं लोलजिव्हां सुरेश्वरीम्
चतुर्भुजां दशभुजामष्टादशभुजां शुभाम् ॥ 16 ॥
त्रिपुरेशीं विश्वनाथप्रियां विश्वेश्वरीं शिवाम्
अट्टहासामट्टहासप्रियां धूम्रविनाशिनीम् ॥ 17 ॥
कमलां छिन्नभालाञ्च मातङ्गीं सुरसुन्दरीम्
षोडशीं विजयां भीमां धूमाञ्च वगलामुखीम्॥ 18 ॥
सर्वसिद्धिप्रदां सर्वविद्यामन्त्रविशोधिनीम्
प्रणमामि जगत्तारां साराञ्च मन्त्रसिद्धये ॥ 19॥
इत्येवञ्च वरारोहे स्तोत्रं सिद्धिकरं परम्
पठित्वा मोक्षमाप्नोति सत्यं वै गिरिनन्दिनि ॥ 20 ॥

। *इति दशमहाविद्यास्तोत्रं सम्पूर्णम्* ।




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