ॐ त्र्यम्बकं यजामहे
सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्
उर्वारुकमिव बन्धनान्
मृत्योर्मुक्षीय मामृतात् ॥
Om tryambakam yajāmahe,
sugandhim puṣti-vardhanam
ǀ
urvārukam-iva bandhanā,
mṛtyormukṣīya māmṛtāat
ǁ
अर्थात/ Means
हम तीन नेत्र वाले भगवान शंकर की पूजा करते हैं
जो प्रत्येक श्वास में जीवन शक्ति का संचार करते हैं, जो सम्पूर्ण जगत का पालन-पोषण अपनी
शक्ति से कर रहे हैं, उनसे
हमारी प्रार्थना है कि जिस प्रकार एक ककड़ी अपनी बेल में पक जाने के उपरांत उस
बेल-रूपी संसार के बंधन से मुक्त हो जाती है, उसी प्रकार हम भी इस संसार-रूपी बेल में पक जाने के उपरांत
जन्म-मृत्यु के बंधनों से सदा के लिए मुक्त हो जाएं तथा आपके चरणों की अमृतधारा का
पान करते हुए शरीर को त्यागकर आप ही में लीन हो जाएं और मोक्ष प्राप्त कर लें।
Meaning:
1: Om, We Worship the Three-Eyed One (Lord Shiva),
2: Who is Fragrant (Spiritual Essence) and Who Nourishes all
beings.
3: May He severe our Bondage of Samsara (Worldly Life), like
a Cucumber (severed from the bondage of its Creeper),
4: and thus Liberate us from the Fear of Death, by
making us realize that we are never separated from our Immortal Nature
Thank you sir for your blog.
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